
स्वामी विवेकानंद बस स्टैंड सुमेरपुर में आधुनिक शौचालय के संचालन व रखरखाव में दखलन्दाजी करने पर न्यायालय ने आगामी आदेश तक लगाई रोक –
सुमेरपुर नगर पालिका में बढ़ रहा भ्रष्टाचार चरम सीमा पर नहीं हो रही कोई कार्रवाई
सुमेरपुर। सुमेरपुर नगर पालिका द्वारा विवेकानंद बस स्टैंड पर बनाए गए मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अंतर्गत बनाए गए आधुनिक शौचालय का आदेश क्रमांक 880 दिनांक 02.07.18 के जरिए कस्बा सुमेरपुर के वार्ड संख्या 12 राजेंद्र मार्केट बगीचे में सामुदायिक शौचालय का निर्माण एवं 5 वर्ष तक रखरखाव संचालन व मरम्मत का ठेका एच पी कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर शिवगंज को दिया गया लेकिन राजेंद्र मार्केट में वार्ड वासियों ने शौचालय बनाने पर ऐतराज किया जिस पर नगर पालिका ने स्थान बदलकर संशोधित आदेश क्रमांक/न.पा.सु./2018-19/1354-57 के जरिए फर्म को स्वामी विवेकानंद बस स्टैंड सुमेरपुर में कार्य चालू करने का आदेश दिया लेकिन इस बीच पालिका द्वारा उन्हें अग्रिम आदेश तक कार्य को निर्देशक स्वाद शासन विभाग जयपुर का आदेश नहीं आने से कार्य रुकवा दिया गया जिस कारण फर्म ने निर्माण कार्य को रोक दिया गया।
दिनांक 03.03 .2020 को नगर पालिका द्वारा पुनः मुख्यमंत्री बजट घोषणा का कार्य होने के कारण पत्र क्रमांक 2019-20/1759/एच.पी कंस्ट्रक्शन शिवगंज को जारी संशोधन आदेश दिया गया!कार्य आदेश के तुरंत बाद आधुनिक शौचालय का निर्माण कार्य पून: फर्म द्वारा शुरू किया गया जिसका मेजरमेंट व तकनीकी जांच पालिका द्वारा की जाकर रनिंग बिल बनाकर भुगतान किया गया एवं दिनांक 25. 11. 2020 को कार्य पूर्ण होने पर फाइनल बिल बनाकर पालिका द्वारा उक्त निर्माण का भुगतान टुकड़ों में बार-बार भुगतान किया गया जिस फार्म मालिक को आर्थिक व मानसिक उत्पीड़न हुई। उक्त कार्य आदेश में निर्माण कार्य के साथ-साथ 5 वर्ष के लिए रख- रखाव एवं मरम्मत का संचालन भी दिया गया जिस पर एचपी कंस्ट्रक्शन ने 25 .11. 2020 से 2025 तक यानी 5 वर्ष की अवधि तक संचालन व मरम्मत का कार्य जारी रखा जो आज दिनांक तक जारी है।
इस आधुनिक शौचालय के संचालन में रखरखाव बाबत फर्म द्वारा पालिका में कई बार मौखिक हुए लिखित में दिया गया की मेरा रख रखाव समय पर हो रहा है एवं भुगतान करने के बारे में भी निवेदन किया लेकिन पालिका द्वारा इस और कोई सुनवाई नहीं की और पालिका के कनिष्ठ अभियंता अधिशासी अधिकारी को पूर्ण जानकारी होते हुए भी उक्त शौचालय को फर्म मालिक को परेशान करने व द्वेषतापूर्वक व बदनियति से नुकसान पहुंचाने कि बदनियती से पालिका ने बगैर कानूनी प्रक्रिया अपनाएं व फर्म को पुर्व सूचित किए बगैर किसी अन्य ठेकेदार को साथ गांठ कर रखरखाव व संचालन केवल मात्र कागजी खानापूर्ति कर रखरखाव व संचालन का आदेश आचार संहिता लगने के बावजूद पालिका पत्र क्रमांक/2023-24/10959 दिनांक28.3.2024 को आदेश जारी कर मैसर्स सूलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन राजस्थान शाखा सुलभ भवन जे – ए संस्थानिक क्षेत्र झालाना डूंगरी जयपुर हाल – केंद्र जालौर चौराहा सुमेरपुर को दे दिया गया जो आचार संहिता के उल्लंघन की श्रेणी में आता है व अधिशासी अधिकारी ने जानबूझकर आचार संहिता का उल्लंघन किया उक्त कार्य सिविल शाखा से कार्य आदेश दिया गया लेकिन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए अधिशासी अधिकारी ने स्टोर शाखा प्रभारी यशवंत कुमार सफाई निरीक्षक से आदेश पर आदेश निकलवा दिया तथा आदेश सिविल शाखा से 19100/- प्रतिमा के आदेश अनुसार 11.50 लाख रुपए 5 वर्ष के लिए दिया गया लेकिन पालिका द्वारा आदेश की अनदेखी करते हुए व्यक्ति विशेष फर्म को लाभ देने की नीयत से आचार संहिता में इसी कार्य को 26400/- प्रति माह 1 वर्ष के लिए संचालन अन्य फर्म को दे दिया गया जबकि उक्त शौचालय का संचालन एच पी कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर शिवगंज द्वारा लगातार कार्य पूर्ण होने पश्चात संचालन में रखरखाव लगातार चालू है व फर्म द्वारा कर्मचारी रखा गया है। गलत आदेश का ज्ञान में आने पर तथा सुलभ इंटरनेशनल के मालिक द्वारा हनुमान प्रसाद राठी को परेशान करने पर फर्म एच पी कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर शिवगंज ने न्यायालय की शरण ली, अपने एडवोकेट गणपत सिंह राजपुरोहित के मार्फत सिविल न्यायालय सुमेरपुर में अधिशासी अधिकारी, अध्यक्ष नगर पालिका सुमेरपुर व अनिल सिंह सुलभ इंटरनेशनल के विरुद्ध दावा पेश किया जिस पर न्यायालय द्वारा नोटिस जारी किए।


माननीय न्यायालय द्वारा एच पी कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर हनुमान प्रसाद राठी की पत्रावली व दस्तावेजों का अवलोकन किया गया। अधिवक्ता गणपत सिंह राजपुरोहित द्वारा एचपी कंस्ट्रक्शन की पैरवी करते हुए मजबूत साक्ष्य पेश किये, दोनों पक्षों की सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने दिनांक 21 सितंबर 2024 को आदेश जारी करते हुए कहा कि आज भी आधुनिक शौचालय पर कब्जा एवं संचालन एच पी कंस्ट्रक्शन द्वारा ही किया जा रहा है, यदि प्रार्थी एच पी कंस्ट्रक्शन को बेदखल किया जाता है तो वाद की बहुलता बढ़ेगी प्रार्थी को अपूर्णीय क्षती एवं भारी असुविधा होगी, इस प्रकार व्याख्या करते हुए न्यायालय द्वारा आगामी आदेश तक मौके की यथा स्थिति बनाए रखने तथा मौके की स्थिति में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करने बाबत स्थगन (स्टे) आदेश पारित किया।
