विधानसभा अध्यक्ष देवनानी की पहल पर कलेक्टर लोकबंधु ने की क्रियान्विति। पहाड़ी पर हो रही थी देश विरोधी गतिविधियां।

1996 में तारागढ़ की पहाड़ी पर पृथ्वीराज चौहान का स्मारक बना था।
तारागढ़ किले को भी अतिक्रमण मुक्त और संरक्षित करने की जरुरत।
पृथ्वीराज चौहान के कारण ही अखंड भारत के इतिहास में अजमेर का महत्व।

अजमेर। ।अखंड भारत (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान सहित) के इतिहास में अजमेर का इसलिए महत्व है कि तब 1177 ईवी में हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने अजमेर को ही राजधानी बनाया था। हालांकि बाद में चौहान ने दिल्ली पर भी शासन किया। उस समय अजमेर की तारागढ़ की पहाड़ी पर ही पृथ्वीराज चौहान ने किला बनाया था। तब अफगानिस्तान का लुटेरा मोहम्मद गौरी आया और उसने पृथ्वीराज चौहान से युद्ध किया। मोहम्मद गौरी को 16 बार हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 17वीं बार धोखे से मोहम्मद गौरी ने युद्ध जीत लिया। कहा जाता है कि हार के बाद पृथ्वीराज चौहान को अफगानिस्तान ले जाया गया। पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद ही भारत में आक्रमणकारियों को आने का अवसर मिला, इसलिए इतिहास में पृथ्वीराज चौहान को भारत का अंतिम हिंदू सम्राट भी कहा जाता है। उन्हीं पृथ्वीराज के तारागढ़ किले की पहाडिय़ों को ही 2 अगस्त को अतिक्रमण से मुक्त करवाया गया।

वन विभाग की 11 सौ बीघा भूमि पर पक्के निर्माण कर लिए गए। पिछले अनेक वर्षों से यह पहाड़ी देशद्रोहियों की शरणस्थली भी बन गई। पुलिस ने सी पहाड़ी क्षेत्र से बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या को भी गिरफ्तार किया। इसी पहाड़ी क्षेत्र से कई बार कुख्यात बदमाशों को भी पकड़ा गया। चूंकि पहाड़ी क्षेत्र में घने जंगल है, इसलिए पुलिस को भी जांच पड़ताल करने में परेशानी होती है। दुर्गम क्षेत्र का फायदा उठाते हुए ही वन भूमि पर पक्के अतिक्रमण किए गए। ऐसे अतिक्रमणों को हटाने के लिए पूर्व में कई बार प्रयास किए गए, लेकिन संगठित लोगों के विरोध के चलते अतिक्रमण नहीं हटाए जा सके। लेकिन इस बार क्षेत्र के भाजपा विधायक और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर राज्य सरकार के स्तर पर तारागढ़ पहाड़ी को अतिक्रमण मुक्त करने की योजना बनाई गई। इस योजना को 2 अगस्त को जिला कलेक्टर लोकबंधु के नेतृत्व में क्रियान्वित किया गया। हालांकि अतिक्रमण हटाने का काम वन विभाग ने किया, लेकिन कलेक्टर लोकबंधु और पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा मौके पर ही मौजूद रहे। पहाड़ी क्षेत्र में जेसीबी या अन्य मशीन नहीं जा सकती थी, इसलिए श्रमिकों ने लोहे के औजारों से ही अतिक्रमणों को ध्वस्त किया। ऐसे अतिक्रमण सरकारी कार्मिकों की मिली भगत से हुए इसलिए पहाड़ी पर बिजली, पानी के कनेक्शन भी हासिल कर लिए गए। वोटों के खातिर नेताओं ने अतिक्रमणकारियों को अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवा दी। गंभीर बात तो यह है कि कुछ अतिक्रमणकारियों को अदालत से स्टे भी मिल गया है। हालांकि ऐसे स्टे ऑर्डर को खारिज करवाने के लिए प्रशासन कानूनी कार्यवाही कर रहा है। अतिक्रमणकारियों देश के विभाजन के समय के दस्तावेज तैयार करवाए है। यानी बेचने वाले को पाकिस्तान चले जाने वाला बता दिया गया, लेकिन भूमि के मालिकाना हक के मूल कागज किसी भी अतिक्रमणकारी के पास नहीं है।

1996 में बना स्मारक:
तारागढ़ की पहाड़ी पर वर्ष 1996 में अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान का स्मारक बनाया गया था। तब यह स्मारक अजमेर नगर सुधार न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत की पहल पर बना और भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत ने लोकार्पण किया। यानी अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान से जुड़ी तारागढ़ की पहाड़ी को बचाने के लिए समय समय पर कार्यवाहियां होती रही, लेकिन अभी भी तारागढ़ किले को अतिक्रमण मुक्त और संरक्षित करने की जरूरत है। अतिक्रमण कारियों के कारण अखंड भारत के इतिहास से जुड़े तारागढ़ किले की दुर्दशा हो रही है। यह सही है कि समय के साथ तारागढ़ किला मुस्लिम बाहुल्य हो गया है और यहां पर मुस्लिम मान्यताओं के अनुरूप धार्मिक स्थल भी बन गए है, लेकिन फिर भी पृथ्वीराज के इस किले को संरक्षित तो किया ही जा सकता है।
