
शिवगंज। शहर के सुभाष नगर स्थित, राजकीय सार्वजानिक पंचायत समिति पुस्तकालय में, मंगलवार की शाम, पुस्तकालय विज्ञान के जनक और भारतीय पुस्तकालय आंदोलन के प्रणेता, पद्मश्री डॉ एस आर रंगनाथन की जयंती मनाई गई। इस दिन को भारत में लाइब्रेरियन दिवस के रूप में मनाया जाता है। रंगनाथन की तस्वीर पर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार देवेन्द्र कुमार देव ने अपने उद्बोधन में कहा कि, पूर्ण समर्पण और समाज को कुछ देने की प्रवृत्ति, व्यक्ति को महान बनाती है। उपन्यासकार देव ने, मनुष्य को प्राकृतिक बनने की बात कही। हम प्रकृति की तरह, बिना किसी स्वार्थ के, समाज को कुछ न कुछ प्रदान करें। गुलाम भारत में जितने भी महान व्यक्ति हुए, उन्होंने देश के लिए त्याग किया है। पुस्तकालय आंदोलन के प्रणेता और पुस्तकालय विज्ञान के जनक पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ रंगनाथन ने भी अंग्रेजों के शासनकाल में, पुस्तकालयों की उन्नति और प्रचार – प्रसार के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। पुस्तकालयाध्यक्ष सोमप्रसाद साहिल ने बताया कि, इस अवसर पर सेवानिवृत्त सार्जेंट बसन्त कुमार गेहलोत ने सोशल मीडिया की बढ़ती लत पर चिन्ता जाहिर की। गेहलोत ने पाठकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि, पुस्तकें हमारी कल्पना शक्ति को विकसित करती है, हमें पुस्तकों की संगति करनी चाहिए। व्याख्याता भंवर लाल परमार ने डॉ रंगनाथन के जीवन परिचय के साथ किताबों की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। सेवानिवृत्त बैंक मेनेजर छगन लाल सुथार ने डॉ रंगनाथन की जीवनी पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि, रंगनाथन अपने कार्य के प्रति इतने समर्पित थे कि, कभी अवकाश नहीं लेते थे। स्वंय की शादी में भी उन्होंने, दो घंटे का अववकाश लिया था। सेवानिवृत्त सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी एस पी शर्मा ने, अपने बाल्यकाल में लाइब्रेरी से जुड़े संस्मरणों को, पाठकों के साथ साझा किया। दिव्यांग पाठक केतन कुमार सोनी ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन पुस्तकालयाध्यक्ष साहिल ने किया। कार्यक्रम में पर्यावरण प्रेमी ओमप्रकाश कुमावत, रमेश कुमार सोलंकी, होमगार्ड पुखराज मीणा एवं पुस्तकालय पाठक राहुल कुमार, कालूराम, रमेश कुमार, इन्द्रा कुमारी, नकूल, रविन्द्र कुमार, नरेश आदि उपस्थित रहे।
