पटाखों के गोदाम के लाइसेंस रिन्यूअल के समय क्यों नहीं की जाती है जांच
– ग्रीन पटाखों की आड़ में बेचे जा रहे प्रतिबंधित (तेज़ ध्वनि) वाले पटाखें
शिवगंज। उपखंड मुख्यालय पर दीपों के महापर्व दीपावली को लेकर अभी से ही बाजारों व घनी आबादी वाले इलाकों में पटाखों का बाजार सजाने के साथ भारी संख्या में पटाखों का भंडारण एवं विक्रय तक शुरू कर दिया गया है। राज्य सरकार की ओर से खुले व आबादी वाले इलाके में विस्फोटक पदार्थ की बिक्री पर रोक है। अगर नियम के विरुद्ध कोई भी दुकानदार पटाखे की बिक्री के लिए दुकान लगाता है तो ऐसे दुकानदारों को चिह्नित कर कड़ी कार्रवाई के साथ जेल भेजने का कानून है। बावजूद इसकेे शहर सहित ग्रामीण इलाकों में पटाखा कारोबारी बिना उपखंड प्रशासन के निर्देश के ही पटाखों का भंडारण सहित विक्रय करने में जुट गए है।
*जानकारी* के अनुसार पटाखा दुकान व गोदाम खोलने के लिए भारतीय विस्फोटक अधिनियम के तहत पटाखें की एक दुकान से दूसरी दुकान के बीच की दूरी 15 फीट से अधिक होनी चाहिए, लेकिन यह नियम शिवगंज के गणेश नगर स्थित गोदाम संचालक नहीं मानते। नियमानुसार दुकान व गोदाम एक मंजिल पर होना चाहिए। दुकान में 10 बोरी बालू होनी चाहिए। इसके अलावा गोदाम में 50 बोरी, दो बड़े ड्रमों में हमेशा पानी भरा होना चाहिए साथ ही 6 फायर एक्सटिंग्यूसर सिलेंडर भी होना चाहिए। लाइसेंसी दुकानदारों को भी इस नियम का सख्ती से पालन करना पड़ता है। अगर जांच के दौरान पटाखा दुकान या गोदाम में इनकी व्यवस्था नहीं की गई है तो तुरंत वह दुकान को बंद करवा दी जाएगी। लेकिन शहर में पटाखा कारोबारी प्रशासन से कथित रूप से मिलीभगत कर इन नियमों को दरकिनार कर अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए मानव जीवन को संकट में डालने से बाज नहीं आ रहे है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अवैध पटाखा बेचने वालों के विरुद्ध कार्रवाई के साथ घर /गोदाम भी सील किया जाएगा। लेकिन बडगांव पंचायत और शिवगंज शहर से लगते गणेश नगर के पटाखा व्यापारी खुले आम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे है।
*क्या शिवगंज उपखंड प्रशासन कोर्ट के आदेशों की पालना करवा पाएगा..*
सवाल यह उठ रहा है कि शहर से सटे गणेश नगर में नियम विरूद्ध चल रहे पटाखों के गोदाम को लेकर प्रशासन को भी जानकारी है। मगर इन कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई जेहमत नहीं उठाना चाहता। आखिर इसकी वजह क्या है।
हालात इस कदर है कि यहां खुले आम ग्रीन पटाखों की आड़ में प्रतिबंधित पटाखें बेचे जा रहे है। सवाल तो यह भी उठने लगा है कि जब व्यापारियों की लगातार मिन्नत के बाद भी उपखंड प्रशासन की ओर से शहर में अस्थाई पटाखा लाइसेंस जारी नहीं किए जा रहे है तो फिर घनी आबादी वाले क्षेत्र में सैकड़ों टन पटाखों से भरे दो गोदामों का संचालन कैसे हो रहा है।
*यह चल रहा अजब खेल*
ग्रीन पटाखों की पहचान उसके होलोग्राम से होती है। इसी के आधार पर सामान्य और ग्रीन पटाखों की पहचान की जाती है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक कई कारोबारी सामान्य पटाखों में केवल होलोग्राम लगा देते हैं। फिर इसे ग्रीन बताकर बेचते हैं।
