जो आज एक उज्ज्वल जीवन को स्मरण करने का यह सुअवसर
उनकी सामाजिक दूरदृष्टि ने बदला स्त्रियों का जीवन

शिवगंज । भारतीय जनता पार्टी नगर मंडल शिवगंज द्वारा स्थानीय डाक बंगला में शक्ति पुन्य श्लोक रानी देवी अहिल्या होल्कर जी की 300 वीं जयंती मंडल अध्यक्ष तारा राम कुमावत के नेतृत्व में व मुख्य वक्ता झुंझार सिंह की उपस्थिति में मनाई गई मुख्य वक्ता झुंझार सिंह ने देवी अहिल्या बाई होलकर की जीवन के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा की वह सिर्फ भौतिक विकास तक नहीं रुकीं, समाज की मानसिकता में भी परिवर्तन लाई। उन्होंने विधवाओं को संपत्ति का अधिकार दिलाया।
साधारण परिवार में जन्म लेकर अखंड राष्ट्र की दृष्टि से हम सबको प्रेरित करती लोकमाता अहिल्याबाई पुण्यश्लोका है। उन्होंने मनसा, वाचा, कर्मणा सदैव लोकहित के कार्य ही किए। सत्तर वर्ष का उनका जीवन कर्तव्य की मिसाल है,जो बताता है कि अबोध बालिका से लेकर होलकर वंश की सोनबाई होने और फिर राजमाता से लोकमाता बन जाने तक प्रतिदिन प्रतिपल परिवार, समाज और राष्ट्र जीवन की मर्यादाएं तय करते हुए किस तरह न्यायप्रिय, आध्यात्मिक-सात्विक-प्रजावत्सला, लोकदेवी और जन मानस के लिए प्रातः स्मरणीय हुआ जा सकता है। ये वह उपाधियां हैं, जो उनको जीते जी आमजन से प्राप्त हुई।
गंगाराम गोयल ने अपने उद्बोधन में कहा की देवी अहिल्या होलकर जी युद्ध को राजकोष भरने का साधन न मानते हुए और राजकोष को युद्ध के लिए रिक्त न करने की नीति पर चलकर भी राज्य को सदैव सशक्त और सशस्त्र रखा जा सकता है। उनकी राजनीतिक समझ का आकलन इस बात से किया जा सकता है कि उन्होंने अंग्रेजी कूटनीति को भालू की गुदगुदी के समान घातक बताते हुए विभिन्न राजे-रजवाड़ों को उनसे सावधान रहने और अखंड भारत के लिए एक रहने की नेक सलाह दी।

मंडल अध्यक्ष ताराराम कुमावत ने बताया कि अहिल्याबाई ने अपनी ननद के साथ मिलकर 500
स्त्रियों की सैन्य टोली का गठन किया। उन्होंने स्वयं तोपखाने का निर्माण करवाया और महंगी बंदूक उपलब्ध कराने की अंग्रेजी नीति के प्रत्युत्तर में सेना में फ्रांसिसी अधिकारी की भर्ती कर बंदूकों का उत्पादन करवाया। यह लोकमाता की सामाजिक दूरदृष्टि थी कि स्त्रियों के अतिरिक्त समय का सदुपयोग करने के लिए वस्त्र उद्योग का ऐसा स्टार्टअप प्रारम्भ किया, जो आज तक महेश्वरी साड़ी के नाम से फलता-फूलता उद्योग है।
इसी के साथ महेंद्र दवे ने देवी अहिल्या बाई होलकर की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने अखिल भारतीय दृष्टिकोण के साथ देश में बद्रीनाथ से रामेश्वरम् और द्वारिका से कोलकाता तक 100 से भी अधिक स्थानों पर मंदिर जीर्णोद्धार, धर्मशाला निर्माण, नदी किनारे घाट का निर्माण करवाया। उनका भोजन महेश्वर वाड़े के 300 कर्मचारियों के साथ होता था, जिनमें दीवान से लेकर सफाईकर्मी भी भागीदार होते थे। पूर्व पार्षद राजेंद्र सोलंकी व मांगीलाल टॉक ने भी देवी अहिल्याबाई की जीवनी पर प्रकाश डाला।
अंत में महामंत्री नरेश सिंधी ने सभी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि काशी में कुशावर्त घाट बनवाया, जहां कोई भी दाह संस्कार कर सकता था। उन्होंने पर्यावरण और खेती के लिए नियम तैयार किए। नर्मदा का पृथक प्रवाह तैयार करवाया, ताकि नदी दूषित न हो।

इस कार्यक्रम में मंडल उपाध्यक्ष कुंदनमल राठी, वेनाराम प्रजापत, राकेश सोनी, हिम्मतराम भाटी, महामंत्री अशोक अग्रवाल, रूपेश देवासी, ओम प्रकाश परिहार, भरत सुथार, आनंदीबेन राजपुरोहित, मोहन मेघवाल, राजेंद्र सिंह राजपुरोहित, पूर्व मंडल अध्यक्ष प्रकाश भाटी, मानक प्रजापत, लक्ष्मण परिहार, शेषमल गर्ग, अशोक कुमावत, शंकर कुमावत, नारायण लाल परिहार, भाजपा वरिष्ठ नेता खेमसिंह चौधरी, लक्ष्मीनारायण गहलोत, नैनमल जैन, मांगीलाल गहलोत, मुकेश प्रजापत, दिनेश कुमावत, कांतिलाल माली, नरपत परमार, भगतराज भाटी, इस्माइल खान जवेरचंद्र सोनी, राजेश कुमार मालवीय, जीबी बाई, कंचन कुमावत, पार्वती देवी कुमावत, संतोष, कमला, मंजू सहित कई कार्यकर्ता कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
