बच्चों में बढ़ रहा मायोपिया, 20 प्रतिशत तक बढ़ी बीमारी, कोविड से पहले रोजाना 50 केस आते थे… अब 150 पहुंचे

जयपुर । कोविड के बाद बच्चों में मायोपिया डिजीज बीमारी के कैसे लगातार बढ़ रहे है। डॉक्टर्स की माने तो कोविड के बाद बच्चों में 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एसएमएस, जयपुरिया और गणगौरी अस्पताल में कोविड से पहले जहां 50 केस भी नहीं आते थे, अब उनकी संख्या बढ़कर 150 तक हो गई है। डॉक्टर्स के मुताबिक स्क्रीन टाइम बेहद अधिक बढ़ने और आउटडोर एक्टिविटी कम होने से बच्चों की आंखों में परेशानी होने लगी है और उन्हें बीमारियां होने लगी है। सामने यह भी आया है कि आठ साल से कम उम्र के बच्चों में भी यह बीमारी बढ़ी है।
क्या है मायोपिया और क्या हैं कारण
मायोपिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दूर की वस्तुएं भी धुंधली दिखाई देती हैं और पास की वस्तुएं स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रकाश की किरणें रेटिना पर ठीक से केंद्रित नहीं होती हैं और सामने की ओर केंद्रित होती हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि कोविड काल में स्कूल क्लास भी मोबाइल पर चली हैं और बच्चों ने 12-12 घंटे तक मोबाइल, लैपटॉप और टीवी देखा है। इसके बाद भी बच्चों में मोबाइल और स्क्रीन टाइम लगातार बना हुआ है और बच्चों की आंखें खराब हो रही हैं। इंडोर गेम्स की वजह से बच्चों का ज्यादातर समय इनडोर गतिविधि और स्क्रीन के सामने बीत रहा है और आंखों को प्राकृतिक रोशनी कम मिल रही है।
एक्सपर्ट व्यूः क्या करना चाहिए
बच्चों को स्क्रीन टाइम कम करने और आउटडोर गतिविधियों में अधिक समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करें।
डॉ. माया हाड़ा नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं डॉक्टर वीरेंद्र सिंह सीनियर नेत्र रोग विशेषज्ञ एसएमएस जयपुर ने बताया कि 20-20-20 नियम का पालन करना चाहिए। यानी हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर की किसी वस्तु को देखें। नियमित रूप से आंखों की जांच करवाते रहनी चाहिए ताकि परेशानी का पता चल सके। डॉक्टर के बताने पर चश्मा, कॉन्टैक्ट लेंस, या अन्य उपचारों का सही तरीके से उपयोग करें।
