रिश्वतकांड के बाद नगर पालिका की शाखाओं में सन्नाटा, जनता पूछ रही-अब क्या होगा ?

शिवगंज । शिवगंज से एक बड़ी और चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। बीते 24 घंटे पूर्व नगर पालिका में हुई ACB कार्रवाई के बाद आज पालिका भवन सुनसान नजर आया। जिन कमरों में हर दिन फाइलों की खड़खड़ाहट और योजनाओं की बातें होती थीं, वहां अब ताले लटकते दिखाई दिए। आज सुबह जब लोग पालिका अपने कार्यों के लिए पहुंचे, तो देखा कि करीब 6 शाखाओं के कार्यालयों पर ताले लगे हैं। कई अधिकारी व कर्मचारी नदारद थे, और जिनकी मौजूदगी थी, वे भी आपस में धीरे-धीरे चर्चा करते सुने गए—”अब आगे क्या होगा?” नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर पहले से उठते सवाल अब और गंभीर हो चले हैं। जिस विभाग में जनता की समस्याएं सुलझाई जानी चाहिए थीं, वहीं अब फाइलें बंद पड़ी हैं, कुर्सियां खाली हैं और दरवाज़े बंद।

ACB की टीम द्वारा की गई भ्रष्टाचार पर कार्यवाही के बाद ईओ (अधिशाषी अधिकारी) शुक्रवार सुबह 6 बजे ही पालिका पहुंची थीं, लेकिन जानकारी के अनुसार वे कुछ देर बाद सीएल पर चली गईं। इससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या नगर पालिका में अभी और भी ऐसे चेहरे हैं जो जांच के घेरे में आने वाले हैं,जनता में अब प्रशासन को लेकर अविश्वास बढ़ रहा है। लोग कह रहे हैं अगर यही हाल रहा, तो जनता की फाइलें कब खुलेंगी और काम कब होंगे।
नीचे सवालों के घेरे में कुछ तथ्य
क्या अन्य अधिकारी भी जांच के डर से हो गए हैं गायब, क्या यह केवल एक मामला था, या और भी कई परतें खुलेंगी, अब प्रशासन भ्रष्टाचार पर और कितनी सख्ती दिखाएगा।

अब उठते हैं कई तीखे सवाल – जवाब कौन देगा?
क्या ACB की कार्रवाई से सिर्फ एक ही दोषी बेनकाब हुआ, या पूरा तंत्र है सवालों के घेरे में? जिन शाखाओं पर ताले लटक रहे हैं, क्या वहां सिर्फ डर है या कुछ छिपाने की कोशिश?
अधिशाषी अधिकारी की अचानक सीएल पर जाने को लेकर क्या महज़ संयोग मान लिया जाए? क्या भ्रष्टाचार के बाकी सूत्रधार अब भी पालिका में सक्रिय हैं? क्या नगरपालिका की फाइलें अब न्याय के लिए खुलेंगी या फिर धूल फांकती रहेंगी? आमजनता के जरूरी कार्यों का जिम्मेदार कौन? क्या इस कार्रवाई के बाद प्रशासन जवाबदेह और पारदर्शी बन पाएगा? और सबसे बड़ा सवाल – क्या अब भी बाकी भ्रष्टाचार पर पड़ेगी कानून की सख्त गाज?
